गुस्सा नशा है

जैसे किसी भी नशे से बाहर निकलना ज़रूरी होता है, वैसे ही गुस्से के नशे से भी छुटकारा पाना आवश्यक है। गुस्सा एक स्वाभाविक भावना है, लेकिन इसका लगातार और बिना सोचे-समझे अनुभव करना हमारे और हमारे आसपास के लोगों के लिए हानिकारक हो सकता है।

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गुस्सा एक तीव्र भावना है जो अचानक से हमारे दिमाग और शरीर को जकड़ लेती है। जैसे नशा धीरे-धीरे हमारी सोचने-समझने की क्षमता को खत्म करता है, वैसे ही गुस्सा भी हमारे विवेक को ढक लेता है। जब हम गुस्से में होते हैं, तो हम सही और गलत का अंतर भूल जाते हैं। हमारे निर्णय और क्रियाएँ उस समय तात्कालिक भावना के आधार पर होती हैं, जिससे अक्सर हमें बाद में पछताना पड़ता है।

नशे की तरह गुस्सा भी हमें कुछ समय के लिए एक गलत शक्ति का अहसास कराता है। ऐसा लगता है कि हम उस पल में शक्तिशाली हैं और अपनी बात मनवाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। लेकिन जैसे नशा खत्म होने पर सच्चाई सामने आती है, वैसे ही गुस्सा शांत होने पर हमें एहसास होता है कि हमने अपने व्यवहार से न केवल दूसरों को बल्कि खुद को भी नुकसान पहुँचाया है।

नुकसान
गुस्से की आदत हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालती है। जब हम बार-बार गुस्से में आते हैं, तो हमारा रक्तचाप बढ़ जाता है, हृदय तेजी से धड़कता है, और मस्तिष्क में तनाव का स्तर बढ़ जाता है। यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहे तो हृदय रोग, मानसिक अवसाद और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।

न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक रूप से भी गुस्सा हमें कमजोर करता है। गुस्से की वजह से हम दूसरों के साथ गलत व्यवहार करते हैं, जिससे हमारे रिश्ते बिगड़ जाते हैं। हम ऐसे शब्द और क्रियाएँ कर जाते हैं जिनसे हम दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुँचाते हैं और फिर उनसे दूर हो जाते हैं।

गुस्से को नियंत्रित करना क्यों ज़रूरी है?
जैसे किसी भी नशे से बाहर निकलना ज़रूरी होता है, वैसे ही गुस्से के नशे से भी छुटकारा पाना आवश्यक है। गुस्सा एक स्वाभाविक भावना है, लेकिन इसका लगातार और बिना सोचे-समझे अनुभव करना हमारे और हमारे आसपास के लोगों के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए, गुस्से को पहचानना, उसे समझना, और नियंत्रित करना ज़रूरी है।

गुस्से को नियंत्रित करने के कई तरीके हैं, जैसे कि :

  • गहरी साँसें लेना
  • ध्यान करना या
  • उस परिस्थिति से कुछ समय के लिए दूर हो जाना।

जब हम शांत होते हैं, तो हम उस परिस्थिति को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं और सही निर्णय ले सकते हैं।

निष्कर्ष

इसलिए, गुस्से को पहचानना, उसे समझना, और नियंत्रित करना ज़रूरी है।इसे समझना और नियंत्रित करना न केवल हमारे व्यक्तिगत विकास के लिए, बल्कि समाज में सकारात्मक और स्वस्थ संबंधों के निर्माण के लिए भी आवश्यक है।

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Navneet S Maini | @isequalto_klasses 🔭👀
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Written by Navneet S Maini | @isequalto_klasses 🔭👀

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